पिता के जाने के बाद
सोमवार, 18 दिसंबर 2017
जीत यही है मेरी ।
उंगली पर सुदर्शन घुमाता है
और दो दो हाथ में
हमेशा वो भारी पड़ता है ।
हारता ही हूँ मैं ।
पर हाथ भी उसका ही पकड़ा है
संतोष इसका है मुझे ।
जीत यही है मेरी ।
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