सोमवार, 18 दिसंबर 2017

ईश्वर सिर्फ सुन्दर फ़्रेम है

झूठ है प्रेम , समर्पण और
एकसाथ जीने मरने की आस ।
या वो प्रेमशक्ति जो किसी सत्यवान के लिए सावित्री के पास थी ,
सब एक झूठ , सफ़ेद झूठ 
कोरी कल्पित कथा ।

मैंने देखी है 
पूरा जीवन आहूत कर देने वाली स्त्री 
पूजा ,अर्चन, व्रत -उपवास ,प्रेम और समर्पण ।
मैंने देखा है 
कंकर पत्थर , कंटीले ,संकीर्ण या संघर्ष भरे रास्तो पर
हाथ थामें साथ लेकर विजयी होते पुरुष को ।

मैंने देखा है दोनों की हार को 
दोनों के बिछड़ जाने को ।

इसमें  विधान अपनी विधि को लेकर 
अट्टाहास करता राक्षस ही लगता है ।
नहीं लगता किसी देव् की कृपा या 
जीवनभर इसी बिछड़ न जाने के लिए 
आहूत किया गया हर क्षण का फल । 

सब सच है माना 
ये भी सच स्वीकारने का भय क्यों 
कि ईश्वर तस्वीर में जड़ा 
सिर्फ एक सुन्दर फ़्रेम है ।

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