शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

ठीक ठीक वैसे ही चरण हैं

ठीक ठीक वैसे ही चरण हैं
जैसे थे पिता के
और मस्तक पर हाथ का आभास
दिल तक सुकून पहुंचाता है
सच है
पिता छोड़ जाते हैं अपनी प्रतिकृति
भाई की शक्ल में।
यूं ही नहीं पूरा जगत था
राम के रूप में
भरत-लक्ष्मण -शत्रुघ्न का।

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